पटाखे और फुलझड़ी चलाने का मौसम।। पटाखे और फुलझड़ी चलाने का मौसम।।
पापा ने बिखेरे अनार के रंग, नाचे-गाए फिर सब एक संग। पापा ने बिखेरे अनार के रंग, नाचे-गाए फिर सब एक संग।
अखंड दीप, प्रज्वलित, आंगन में, अखंड दीप, प्रज्वलित, आंगन में,
रंग महलों की होकर रह गई, सजी-धजी रूपहली दिवाली, राह वाले यही सोच कर सो गए, फिर आएगी यह दिवा... रंग महलों की होकर रह गई, सजी-धजी रूपहली दिवाली, राह वाले यही सोच कर सो गए,...
मंजिलें दूर कितनी भी हों, रास्तों को पता है कि आ रहा हूँ मैं। मंजिलें दूर कितनी भी हों, रास्तों को पता है कि आ रहा हूँ मैं।
बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।। बस इतना ही याद रखो पटाखे नहीं चलाने हैं घी के दीप जलाने हैं।।